To view this video please enable JavaScript
मैं आत्म-आनंद में लिप्त था, जब मेरा साथी अप्रत्याशित रूप से इसमें शामिल हुआ। उनके कुशल स्पर्श ने मेरे माध्यम से परमानंद की लहरें भेजीं, जिससे मेरा चरमोत्कर्ष तेज हो गया। यह एक लुभावना आश्चर्य था, जो एकल कार्य को एक अंतरंग क्षण में बदल रहा था।.